Sunday 10 June 2012

माँ की ममता ....
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जिन्दगी में गम कम नही है ,
गम से घबराने,वाले हम नही है ..
जिसने दिया , आंसू ही दिया ,
वक्त से डरने वाले हम नही है ..

ममता के आँचल में सुला न पाई..
आंचल के झूले में झुला न पाई ..
कैसी बदनसीब माँ हूँ मैं भी ,
अपने रोते बच्चे को , बहला न पाई ,,

लिखी थी रब ने , जिन्दगी ही कम ..
तुमसे दूर ले गई , ये मौत बेरहम ..
काश ! एक बार जिन्दगी दे देती .
आँचल में छिपा लेती तेरे सारे गम ..

मेरे बच्चे , मेरी लिए तुम
कभी याद में आंसू न बहाना ..
जब याद मेरी आये तो .
मेरे बच्चे तुम जरा मुस्कुराना ...

आउंगी मैं तेरे ही घर ...
रूह मेरी सदा तेरे ही पास है ..
एक बार जरा दिल से हंस दे ..
रहता क्यों तू इतना उदास है ..............सुनीता शर्माजी द्वारा मुझे स्पेशल भेंट

Monday 16 January 2012

माँ

माँ की ममता ऐसे पावन, जैसे गंगाजल होता है!
माँ के आंचल के भीतर ही वायु अम्बर थल होता है!
माँ दुनिया में सर्वोत्तम है, माँ जैसा दूजा न कोई,
माँ के आशीषों से सारी समस्याओं का हल होता है!

माँ ही अपना दूध पिलाकर, इस जीवन को सिंचित करती!
नहीं प्यास से पीड़ित रखती, नहीं अन्न से वंचित करती!

माँ का तो व्यवहार सदा ही चन्दन सा शीतल होता है!
माँ के आशीषों से सारी समस्याओं का हल होता है........

माँ के नैनों में एक जैसी होती, उसकी हर संतान!
वो प्रेषित करती है ममता, सभी को एक समान!
अपनी संतानों के हित में, वो अपना दुःख भी भूले,
माँ अपने मन से चाहती है, सभी का हो उत्थान!

कभी न अपनी संतानों को देती, माँ मिथ्या का ज्ञान!
कभी क्रोध को निकट ना लाती, ना कोई अभिमान!

माँ के मन में भेदभाव न, न ही कोई छल होता है!
माँ के आशीषों से सारी समस्याओं का हल होता है....

माँ की छवि के सम्मुख लगते शब्द हमारे अल्प!
कभी नहीं हो पाता जग में, माँ का कोई विकल्प!
अपने सुख की आकांक्षा में, माँ को ना दो शोक,
माँ का हम सम्मान करेंगे, मन में लो संकल्प!

कोई नहीं कर सकता इस जग में, माँ जैसा बलिदान!
इस स्रष्टि के उदय-मरण तक, जीवित माँ का नाम!

माँ नामक इस शब्द में, एक असीमित बल होता है!
माँ की ममता ऐसे पावन, जैसे गंगाजल होता है!"


"माँ, अद्वितीय है! कोई नहीं उस जैसा! हमारे हर्ष के लिए अपने सुख की
सभी कामनाओं को त्याग देती है माँ, क्यूंकि माँ को सबसे बड़ा सुख उसकी संतानों के हर्ष से मिलता है! तो आइये इस अनमोल चरित्र माँ को नमन करें!